गांधी तुम चौकन्ने रहना !
गांधी तुम चौकन्ने रहना तेरे गुण ये गायेंगे
दिल मे नफरत की आंधी रख झुक झुक फुल चढ़ाएँगे
इनके मन की कुंठा को तुम तो खूब समझते हो
गोली खाकर भी इनकी तुम रत्ती भर ना लरजते हो
तेरी लाठी लेकर तुमसे ये अपना हथियार बनायेगे
गांधी तुम चौकन्ने रहना तेरे गुण ये गायेंगे |
धर्म ध्वज की बात करेंगे और तिरंगे का अपमान
पर इनकी मजबूरी देखो छीन ना सकते तेरा मान
क्षमा दया और प्यार की बंसी तुम तो खूब बजाते थे
पर उस दौर में भी ये नफरत की आग लगाते थे
इतिहास की बेदि पर बैठे ये उसकी धुनि जलाएंगे
गांधी तुम चौकन्ने रहना तेरे गुण ये गायेंगे |
क्रूर क्रोधी और कामहीन ये प्यार की भाषा क्या जाने
आत्ममुग्ध और आत्मप्रवंचित नीरसता को जीवन माने
सत्ता की चाहत मे जब ये धर्म के ठेकेदार बने
हिन्दू मुस्लिम करते करते चोर से चौकीदार बने
अब सत्ता के ठेले पर हर ओर नफरत बिकवायेंगे
गांधी तुम चौकन्ने रहना तेरे गुण ये गायेंगे |
दोष भी इनको क्या दे जब ये सोच ना अपनी गढ़ पाये
एक सदी के बाद भी जब ये देश की नब्ज न पढ़ पाये
इस देश का दिल ही सतरंगी है एक न भाषा एक न बोली
नानक और युसू भी मिलकर ईद मनायें और खेले होली
देशभक्ति की आड़ में ये हर ओर नफरत फैलाएंगे
गांधी तुम चौकन्ने रहना तेरे गुण ये गायेंग |
सच तो ये है बापू तुमसे आज भी खूब ये डरते हैं
जितने फूल चढ़ाते उससे दुगनी नफरत करते है
मंदिर मस्जिद को इन्होने अपना हथियार बनाया है
इस देश को इन्होने बस नफरत करना सिखाया है
अपनी नफरत की भट्टी मे ये खुद ही जल मर जायेंगे
गांधी तुम चौकन्ने रहना तेरे गुण ये गायेंगे |
दिल मे नफरत की आंधी रख झुक झुक फुल चढ़ाएँगे।